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शनिवार, 30 जुलाई 2016

Child sexual abuse and the POCSO act . In Hindi.

National crime record bureau के मुताबिक India में प्रत्येक 30 मिनट के अंतराल पर एक बच्चा  sexual abused का शिकार होता है.
National crime record bureau  का गठन 11 मार्च 1986 को किया गया.  यह भारत सरकार का अपना agency है जो  criminal data collect कर विश्लेषण करने का काम करती है. NCRB  की 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक POCSO Act के तहत् दर्ज केस में 2013 से 2014 के बीच 10.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
भारत दुनिया के top five countries में शामिल है. जहां child sexual abuse का highest rate है.
भारत सरकार द्वारा एक सर्वे 13 राज्यों के 12 लाख बच्चों पर किया   गया  . जिसमें पाया गया कि बाल यौन अपराध gender specific नहीं है. इस सर्वेक्षण से पता चला कि 57% child sexual abuse victim boys  थे.

'लैंगिक अपराधों से बालक का संरक्षण अधिनियम 2012 ' ( the protection of children from sexual offence act )को pocso act भी कहा जाता है. यह act sexual assault, sexual harassment और pornography से बालकों का संरक्षण प्रदान करने के लिए लाया गया.
 इस act को तीन भागों में बांटकर अध्ययन किया जाए तो इसे हमें समझने में सुविधा होगी.
1.sexual offences against children .
2. sexual harassment
3. Use of child for pornographic purpose.

हम इस act की विभिन्न पहलुओं की ओर बढ़ें इससे पहले हमें यह समझना आवश्यक हो जाता है कि 'बालक' शब्द का किस अभिप्राय में प्रयोग किया गया है? या बालक का अर्थ (meaning ) क्या है ?
POCSO ACT के section 2 ( 1 ) d में ' बालक 'शब्द को परिभाषित किया गया है . 'बालक' का अर्थ किसी व्यक्ति से है . जिसकी आयु (age) 18 वर्ष से कम है .वह व्यक्ति male , female या transgender हो सकता है.
 इस प्रकार POCSO ACT किसी व्यक्ति जिसका age 18 वर्ष से कम है.
चाहे वह व्यक्ति male , female या transgender हो , इस प्रकार के अपराध (offence) से संरक्षण प्रदान करता है.
किसी महिला ,पुरुष या तीसरे लिंग के व्यक्ति जो 18 वर्ष से कम आयु का है . उस पर हुए अपराध के बाद POCSO ACT प्रभावी होगा.

1. बालकों के विरुद्ध लैंगिक अपराध. (sexsual offences against children )

कोई व्यक्ति प्रवेशन लौंगिक हमला  ( penetrative sexual assault) तब करता है . जब अपना लिंग (penis ),  कोई वस्तु  या शरीर का कोई  part जो  लिंग (penis )नहीं है  .  किसी सीमा तक बालक, बालिका या अन्य के योनि  ( vagina),   मुँह (mouth ) , मूत्रमार्ग (urethra)  या गुदा (anus ) में प्रवेश करता हैं , पीड़ित child से करवाता है या किसी दूसरे व्यक्ति से करवाता है.
Child के शरीर के किसी part के साथ ऐसा प्रयास करता है कि child के योनि ( vagina ) , मुत्रमार्ग ( urethra) या गुदा (anus) या child के body के किसी part के  किसी भाग में प्रवेश कर सके.
Child से ऐसा करवाता है या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है.
Child के लिंग (penis ), योनि ( vagina ) गुदा (anus)या मुत्रमार्ग  (urethra) पर अपना मुंह लगाता है या किसी दूसरे का मुँह लगवाता है या child से मुँह लगवाता है. तो  section - 3 के तहत् offence होगा.
Section - 4 के तहत् जो कोई इस प्रकार का offence करने का दोषीसिद्ध होगा . उसे अधिकतम  आजीवन कारावास और जुर्माने से दंडित करने का provision है.
इस प्रकार का offence किसी महिला , किसी तीसरे लिंग व्यक्ति या पुरुष द्वारा किया जा सकता है और वह offence होगा.


गुरुतर लैंगिक प्रवेशन. (Aggravated penetrative sexual assault )
section - 5 के provision के मुताबिक जब section -3 के तहत् होने वाले प्रवेशन लौंगिक हमला ( penetrative  sexsual assault) निम्न व्यक्तियों या परिस्थिति में किया जाता है तो वह गुरूतर प्रवेशन लौंगिक हमला होगा.

⚫किसी पुलिस अधिकारी द्वारा.

⚫सशस्त्र बल ( armed forces) सुरक्षा बल ( security forces ) के सदस्य द्वारा.

⚫लोक सेवक द्वारा.

⚫किसी जेल ,रिमांड होम ,protection home, observation home या अभिरक्षा में प्रबंध या कर्मचारियों द्वारा देखरेख  या  संरक्षण  के स्थान पर किया गया offence .

⚫ हॉस्पिटल (सरकारी या प्राइवेट) के staff या management द्वारा उसी हॉस्पिटल में किया गया offence .

⚫शैक्षणिक संस्था या धार्मिक संस्था religious institution का प्रबंध या स्टाफ द्वारा उसी institution में किया गया offence.

⚫सामूहिक प्रवेशन लौंगिक हमला ( gang penetrative sexual  assault )करने वाला.

⚫घातक आयुद्ध, अग्निअस्त्र आदि का प्रयोग कर अपराध करने वाला.

⚫ child का घोर उपहति कारित करने वाला या घातक infection फैलाने वाला , शारीरिक- मानसिक रोगी बनाने वाला.

⚫जो इस offence के द्वारा child को pregnant करता है.

⚫कोई अगर child के mental या physical disability का लाभ उठाकर offence करता है.

⚫जो एक से अधिक बार एक ही child पर offence करता है.

⚫कोई  जो relative या domestic relationship में  रहकर  child के साथ ऐसा offence करता हैं .

⚫ जब 12 वर्ष से कम आयु के child के साथ ऐसा offence होता है.

⚫जब childको  service देने वाले institution के owner , mangment  या staff द्वारा ऐसा offence किया जाता है.

⚫ जब किसी द्वारा न्यासी या प्राधिकारी होते हुए ऐसा offence कहीं भी किया जाता है.

⚫ जब child pregnant हो यह जानते हुए भी ऐसा offence किया जाता है.

⚫  जब section 3 के तहत् offence करने के साथ child का murder करने का प्रयास किया जाता है.

⚫सामुदायिक या पंथिक हिंसा में ऐसा offence किया जाता है.

⚫जो पूर्व में pocso act के तहत् दोषसिद्धि है उसके द्वारा ऐसा offence किया जाता है.

⚫जब ऐसा offence करने के बाद child को सार्वजनिक रुप से नंगा किया जाता है या नंगा करके प्रदर्शन कराया जाता है.

section-6 के provision के मुताबिक जो लैंगिक प्रवेशन हमला का दोषी होगा.  वह अधिकतम आजीवन कारावास और जुर्माने से दंडित होगा.

लैंगिक हमला ( sexual assault ).

Section -7 की provision के मुताबिक जो कोई लैंगिक आशय से child की योनि  (vagina), लिंग(penis ), गुदा(anus), स्तनों (breast) को छूता (touch) या child  से स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति की योनि  (  vagina ), लिंग (penis),गुदा  (anus) ,स्तनों( breast) को छूने के लिए तैयार करता हैं . या लैंगिक आशय के साथ ऐसा कोई अन्य कार्य करता है . जिसमें प्रवेशन  बिना physical contact में involve होता है तो उसके द्वारा लैंगिक हमला का offence होगा.

इस प्रकार का offence पुरुष ,  महिला या तीसरे लिंग के किसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है जो offence होगा.
अगर किसी महिला या किसी तीसरे लिंग के व्यक्ति द्वारा किसी child के साथ section -7 के provision के मुताबिक offence किया जाता है तो इस section में FIR दर्ज होगा.
 जैसे कोई महिला या  कोई तीसरे लिंग का व्यक्ति किसी child का  section -7 के provision के मुताबिक कोई अपराध करती है या करता है तो वह इस section के मुताबिक अपराध होगा.

Section - 8 के provision के मुताबिक इस प्रकार के लैंगिक हमला के लिए दोषीसिद्ध होने पर अधिकतम 5 वर्षों के कारावास और जुर्माने का provision है.
Section -10 के provision के मुताबिक गुरुतर लैंगिक हमला के लिए अधिकतम 7 वर्षों का सश्रम  या साधारण कारावास और जुर्माने का provision है.


लैंगिक उत्पीड़न sexual harassment.
 किसी व्यक्ति द्वारा जब लैंगिक आशय से  कोई शब्द कहा जाए ,अंग विक्षेप  किया जाए , कोई वस्तु या शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करता है या करती है कि child द्वारा वह सब ध्वनि सुनी जाए अंग विक्षेप, वस्तु या शरीर देखा जाए.
लैंगिक आशय से उस व्यक्ति द्वारा या किसी व्यक्ति द्वारा किसी child का शरीर या शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करने के लिए कहता है.
जब child को pornographic purpose  से कोई साहित्य  किसी प्ररूप में या कोई वस्तु दिखाया जाता है.
Child का पीछा जब किसी द्वारा किया जाता है .यह पीछा इलेक्ट्रॉनिक , अंकीय किसी अन्य साधनों द्वारा किया जाता है. निरंतर देखता है या संपर्क बनाता है या बनाती है.
 Child  का image या video बना कर उसे किसी भी रूप में उपयोग करने की धमकी देता है या देती है.
अश्लील प्रयोजनों के लिए किसी  Child को प्रलोभन या परितोषण देता है या देती है.
Section 11 के तहत् इस प्रकार का किया गया गतिविधि offence होगा.
Section 12 के provision के मुताबिक इस प्रकार के अपराध  में दोषसिद्धि होने पर सश्रम या साधारण किसी कारावास से 3 वर्षों के लिए दंडित होगा और जुर्माने से भी .


अश्लील साहित्य की प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग.use of child for pornographic purposes.

जो कोई किसी child का उपयोग मीडिया या मुद्रित प्ररूप द्वारा प्रसारित कार्यक्रम, विज्ञापन के किसी प्ररूप में लैंगिक परितोषण करता है. किसी child की जनेंद्रिय का प्रदर्शन करता हैं . किसी child का उपयोग वास्तविक या नकली लौंगिक कार्यों में करता हैं . जो किसी child का अशोभनीय अश्लीलता पूर्ण प्रदर्शन है.
 इस प्रकार की गतिविधि  Section 13 के तहत्  offence होगा .
Section -14 के तहत् जो अश्लील साहित्य के प्रयोजन के लिए किसी child का उपयोग करता है.  5 वर्षों के कारावास से और जुर्माने से दंडित होगा. दूसरी बार दोषिसिद्ध  होने पर कारावास अवधि 7 वर्षों  की होगी और जुर्माने का भी provision है.
Section -15 के provision के तहत् कोई व्यक्ति किसी  child का commercial purpose से pornographic material भंडारित (store) करता है तो वह 3 बरसों के कारावास और जुर्माने से दंडित होगा.

किसी अपराध का दुष्प्रेरण ( abetment of an offence.)

कोई व्यक्ति किसी अपराध के लिए दुष्प्रेरण करता है जब उस अपराध को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता  है उस अपराध को करने के लिए षड्यंत्र बनाता है और अपराध घटित होता है  . उस अपराध के लिए सहायता करता है .
 Section -16 के तहत् कोई अपराध दुष्प्रेरण के परिणाम स्वरुप  किया  जाता है जब वह उसकाहट के परिणाम स्वरुप या उस षड्यंत्र के अनुसरण में उस सहायता से किया जाता है.
Section -17 के मुताबिक यदि उत्प्रेरित कार्य दुष्प्रेरण के परिणाम स्वरुप किया जाता है तो वह उस दड से दंडित किया जाएगा जो उस अपराध के लिए उपबंधित है.


किसी अपराध को कारित करने के प्रयास के लिए दंड  ( punismant for attempt to commit an offence ).
Section 18 के तहत् कोई इस act के अधीन दंडनीय अपराध करने का प्रयास करता है या किसी अपराध को करवाता है और  ऐसे प्रयास में अपराध कारित करने के लिए कार्य करता है. वह अपराध के लिए उपबंधित किसी प्रकार की किसी ऐसी अवधि के कारावास से जो यथास्थिति आजीवन कारावास के आधे तक का हो सकेगा या उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास की अधिकतम अवधि की आधी तक का हो सकेगा या जुर्माने से या दोनों से दंडनीय होगा.

Section 19 (1) के provision के मुताबिक कोई जो यह जानकारी रखता है कि pocso act के तहत कोई offence हुआ है या होने की आशंका है तो है स्थानीय पुलिस या special juvenile police unit को उसकी सूचना देगा.

Section - 20 के provision के मुताबिक मीडिया ,होटल, लाज ,अस्पताल, क्लब, वीडियो या फोटो चित्रण संबंधित सुविधाओं का कोई व्यक्ति किसी सामग्रियां, वस्तु जिसकी किसी माध्यम की उपयोग से किसी child के लैंगिक शोषण से संबंधित है तो उसकी जानकारी स्थानिय पुलिस या special juvenile police unit को देगा.

Section - 21 के provision के तहत् कोई व्यक्ति जो section 19 ( 1) , 20 के अनुसार हुए offence की सूचना पुलिस या special juvenile police unit  को नहीं देता है तो उसके द्वारा सूचना नहीं देना अपराध होगा . इसके लिए 6 माह का कारावास और जुर्माने का provision है .
 Section 21(2) के तहत् अपने नियंत्रणाधीन किसी अधीनस्थ के द्वारा किए गए, अपराध की जानकारी पुलिस या  specie  juvenile police unit को नहीं देता है तो 1 वर्ष का कैद और जुर्माने का provision है.

मीडिया के लिए प्रक्रिया ( procedure for media ).
Section- 23 के तहत् कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की मीडिया या चित्रण संबंधित अभिप्रमाणित सूचना रखे बिना child के संबंध में कोई रिपोर्ट नहीं करेगा या उसपर कोई टीका टिप्पणी नहीं करेगा.  जिससे उसका प्रतिष्ठा  हनन या उसकी गोपनीयता का अतिलंघन होना प्रभावित होता है. किसी मीडिया से कोई रिपोर्ट child की पहचान  जिसके अंतर्गत उसका नाम, पता, फोटोग्राफ, परिवार, विद्यालय , पडोस, कोई दूसरा प्रगटन  जिससे  child का पहचान का प्रगटन होता हो. नहीं प्रकाशित हो सकेगा   अगर ऐसा करना child के हित में नहीं है.
 अगर किसी के द्वारा ऐसा किया जाता है तो वह offence होगा.  इसके लिए अधिकतम 1 वर्ष का कारावास और जुर्माने का provision है.

POCSO act के तहत् कोई भी अपराध किसी महिला या किसी पुरुष या किसी तीसरे लिंग के व्यक्ति  द्वारा किया जा सकता है.
प्रायः भारतीय समाज में इस प्रकार के offence पूरूषों के सामने आते थे . लेकिन globalisation और porn sites की पहुंचने हमारे समाज में sexual offence के नए रूप को सामने लाया और इससे निपटने के लिए pocso act में ऐसे provision लाने पड़े.  जिससे child की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

 जैसे किसी महिला या किसी तीसरे लिंग के व्यक्ति के द्वारा इस section  के तहत् किसी के लिंग (penis ) , योनि ( vagina ) , गुदा ( anus) या मूत्रमार्ग ( urethra ) पर मुँह लगाया जाता है या लगवाया जाता हैं तो उसके द्वारा इस section के तहत् अपराध किया गया .

Section -3 में 'कोई व्यक्ति '  से महिला, पुरुष या तीसरे लिंग के व्यक्ति का बोध होता हैं.



मंगलवार, 24 मई 2016

Cyber cafe and Indian law . in hindi.

आज के Digital Inidia के युग में cyber cafe का चलन भले ही कम हो गया हो लेकिन आज भी इसकी प्रासंगिकता बनी हुई है.

 Cyber cafe एक ऐसा  place होता है .जहां से   cyber crime को सहजता से अंजाम दिया जाता है . छोटे शहरों और कस्बों में cyber cafe संचालक इसे गंभीरता  से नहीं लेते .
इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए  IT  act 2000 के provision  के मुताबिक central government  ने IT guidelines for Cyber Cafe rules 2011  जारी किया.  इसके द्वारा cyber cafe के संचालन और नियंत्रण के लिए दिशा निर्देश दिया गया .  जो cyber cafe संचालको और users की गतिविधियों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम था.

 इसके द्वारा प्रत्येक cyber cafe का registration अनिवार्य कर दिया कर दिया गया  . एक registration agency का गठन कर cyber cafe का monitoring और   registration का कार्य सौंपा गया.

Cyber cafe users को सबसे पहले अपनी पहचान के लिए एक document देना अनिवार्य होता हैं .यह  document है.  I card , Bank passbook,  passport, voter I card , pan card , DL , Aadhar card  आदी हो सकते हैं.

Cyber cafe संचालक द्वारा  document की एक प्रति अपने पास रखना होगा .  प्रत्येक users का web camera के द्वारा  image capture कर soft copy या hard copy में रखेगा.  जो  log register का हिस्सा होगा.  User का पहचान होने के बाद ही cyber cafe में जाना सुनिश्चित होगा .


अगर किसी पर doubt होता है कि वह criminal element है तो इसकी शिकायत संबंधित  police station में करेगा. cyber cafe संचालक द्वारा  user का  document  और   log register 1 वर्ष तक बिना किसी फेरबदल के सुरक्षित रखना होगा.  Log register में user का नाम, पता, लिंग, contact number , document, date ,    login time , logout time दर्ज  होगा.

Cyber cafe को log register का एक monthly report registration  agency को  या  उसके द्वारा नामित कार्यालय को hard copy और soft copy में देना होगा और  server proxy ,  web history cyber cafe के संचालक द्वारा एक वर्ष  तक रखा जाएगा   .

Cyber cafe का ढांचा

Cyber cafe का  घेरा  साढे चार फिट से अधिक नहीं होगा . Computer screen खुले स्थान की ओर होगा .
कोई भी minor व्यक्ति बिना अपने अभिभावक के cyber cafe में प्रवेश पाने का हकदार नहीं होगा . Cyber cafe के सभी computers में filtering  softwareहोगा.
Cyder cafe द्वारा यह हर हाल में सुनिश्चित  किया जाएगा कि उसका use illegal कार्यों के लिए न हो .
Cyber cafe द्वारा एक बोर्ड रखा जाएगा. जिस पर या सूचना अंकित होनी चाहिए की अश्लील साइटों को देखना , डाउनलोड करना मना है . Cyber cafe अपने employees का record 1 वर्ष तक सुरक्षित रखेगा.
 Cyber cafe का ,  registration agency का कोई athorised अधिकार  या कर्मचारी निरीक्षण कर log register  या सूचनाओं का मांग कर सकता है जिसे cyber cafe संचालक को  उपलब्ध कराना होगा.

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शनिवार, 21 मई 2016

The Cr.P.C. section 268 and power of a state : in hindi.

The code of criminal procedure 1973 ( दंड प्रक्रिया संहिता 1973 ) का section 268 राज्य सरकार को यह power प्रदान करता है कि वह किसी prisoner को उसी जेल  में रखने का आदेश दे  सकती है . जहां वह बंद है . ऐसा आदेश देने के बाद न्यायालय द्वारा उस बंदी की उपस्थिति का न्यायिक प्रक्रिया अप्रभावी रहेगी.


अगर अगर हम इसे  बोलचाल की भाषा में कहें तो इसका अर्थ होता है कि  Cr.P.C. के  section 268 के द्वारा राज्य सरकार किसी बंदी को court में हाजिर होने से रोक सकती है . इस स्थिति में वह जेल से किसी  court में पेशी के लिए नहीं जाएगा.


Cr.P.C. के section 267 के provision के मुताबिक किसी criminal court द्वारा बंदी की उपस्थिति अपेक्षित है. जब किसी inquiry, trial  या proceeding ,  Cr.P .C. के provision के अधीन होता है.
Court  को  या  विधि द्वारा लगता है  कि बंदी की उपस्थिति आवश्यक है  जैसे  :-

⚫ किसी बंदी को किसी अपराध के आरोप का उत्तर देने के लिए या उसके विरुद्ध किसी proceeding के लिए court के सामने लाया जाना चाहिए.

⚫  जब न्याय के उद्देश्यों के लिए यह आवश्यक है कि ऐसे बंदी की साक्षी के रूप में परीक्षा की जाए.

 जब कोर्ट को ऐसा लगता है तो वह जेल अधीक्षक या संबंधित अधिकारी को आदेश दे सकता है कि  

⚫यथास्थिति आरोप का उत्तर देने के लिए ऐसी कार्यवाहियों  के प्रयोजन के लिए या साक्ष्य देने के लिए कोर्ट के समक्ष पेश करें .

अगर ऐसा आदेश second class magistrate द्वारा दिया जाता है तब  वह आदेश जेल अधिक्षक या संबंधित अधिकारी को तब तक नहीं भेजा जाएगा . जब तक कि chief judicial  magistrate countersign न कर दें.  Countersign करना,  न करना C.J.M . के consider पर होगा.


राज्य सरकार Cr.P.C. के section 268 के provision के द्वारा किसी समय यह आदेश दें सकती है कि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के वर्ग को जेल से नहीं हटाया जाएगा  . जिस जेल में भी बंदी है . यह आदेश तब तक  मान्य होगा . जब तक इस आदेश को वापस नहीं लिया जाता है .

⚫ कोर्ट द्वारा section 267 के provision के मुताविक दिया गया आदेश. राज्य सरकार की आदेश की पहले दिया गया हो या बाद में अमान्य होगा  .


राज्य सरकार सेक्शन 268 के तहत् आदेश जारी करने के पहले इन बातों का ध्यान रखेगी .

⚫उस अपराध का स्वरूप जिसके लिए उस बंदी या बंदियों के वर्ग  को ऐसे बंद करने का आदेश दिया गया है.


⚫ अगर  उस   बंदी या बंदियों के वर्ग को जेल से  हटाने का आदेश दिया जाता है तो लोक व्यवस्था में विघ्न की आशंका है .

⚫ ऐसा आदेश लोक हित के लिए आवश्यक है .


राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार के आदेश देने के बाद उस बंदी  या बंदियों के वर्ग को Cr.P.C. के section 167 (2) B  के  provision के मुताबिक पुलिस द्वारा उसे  'अभियुक्त का परिरोध '  करने  के रास्ते बंद हो जाते हैं.
क्योंकि 'अभियुक्त का परिरोध' के लिए अभियुक्त को पहली बार व्यक्तिगत रुप से कोर्ट में प्रस्तुत होना होता हैं .

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शुक्रवार, 20 मई 2016

The coaching institute and law in Bihar : In Hindi.

बिहार राज्य में कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित, नियमित और मानवीय स्तर की शैक्षणिक माहौल बनाने . शिक्षा और छात्रों का ध्यान रखते हुए. 2010 में एक act लाया गया जो 'Bihar coaching institute ( control & regulation) act 2010' के नाम से जाना जाता है.

इस act ने संपूर्ण बिहार में coaching institute के संचालन का रूपरेखा तैयार कर दिया. जिसका पालन सभी coaching institute संचालकों को करने के लिए बाध्य किया और छात्रों , अभिभावकों को  legal  rights प्रदान किया .  जिससे की coaching institute किसी मनमानी से  बचे और पहले बताएं सुविधाएं उपलब्ध कराएं.
इस article में हम विचार करेंगे इस act के provisions के बारे में.

🔲  Coaching Institute का संचालन.


Coaching  institute का अर्थ है कोई भी कोचिंग संस्थान जो विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा के लिए 10 से अधिक छात्रों को तैयारी करने,  शैक्षणिक माहौल देने के लिए हो.

 जब कोई coaching institute का संचालन करना चाहता है तो उसे सबसे पहले registration कराना होता है . इसके लिए registration fee ₹5000 और अपनी coaching institute का विस्तृत विवरण के साथ आवेदन DM को देना होता हैं.
इस आवेदन की विवरण में निम्न तथ्य देने होते हैं.


⚫Determination  of curriculum  ( पाठ्यक्रम का अभिनिर्धारण)  :-   इसमें शैक्षिक पाठ्यक्रम, इसे पढ़ा कर पूरा करने का समय और एक पाठ्यक्रम में छात्रों की संख्या का उल्लेख होता हैं.


⚫Academic qualification of teachers  :- इसमें शिक्षक को ग्रेजुएट होना आवश्यक है , सरकारी शिक्षक नहीं होना चाहिए , अवकाश प्राप्त शिक्षक रह सकते हैं. Techers का Bio-data जिसमें qualification और experience देना होता हैं.


⚫Tuition fee:-  पाठ्यक्रम, उसके समय और  tuition fees  का वर्णन करते हुए prospects देना होता है .जिसमें सभी शैक्षणिक गतिविधियों का उल्लेख होता है.


⚫coaching institute के भीतर एक छात्र के लिए एक वर्गमीटर क्षेत्रफल होना चाहिए.


⚫Other facilities :- coaching institute को निम्न सुविधाएँ देनी होती हैं .

⚫ पर्याप्त furniture .

⚫ पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था.

⚫ पीने का पानी की सुविधा.

⚫Facility of toilets.

⚫ सफाई की व्यवस्था.

⚫ अग्नीशामक की व्यवस्था.

⚫Medical treatment facility.

⚫Facility  of parking of cycles / vehicles.


इस आवेदन के प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर registration committe सभी सुविधाओं का जांच कर registration  certificate देती है.

🔲Authority:-  यह प्राधिकार इन पदाधिकारियों से बना होता है.

District magistrate   -  chairman.

Supritendent of police - member

District education officer  -  member

Principle  - member

प्राचार्य को DM द्वारा मनोनीत किया जाता है . जिला मुख्यालय में एक से अधिक महाविद्यालय होने की स्थिति में DM द्वारा एक वर्ष के लिए चक्रीय आधार पर किसी महाविद्यालय के प्राचार्य को मनोनीत किया जाता हैं .  इस registration को 3 वर्षों के बाद renewal कराना  होता हैं .


इस प्राधिकार की शक्तियां :-

⚫ शपथ पत्र के माध्यम से प्रमाण के साथ  साक्ष्य स्वीकार करना.

⚫ किसी व्यक्ति को समन करने, उसे हाजिर करने और शपथ पर उसकी परीक्षा करने का अधिकार.

⚫ अभिलेखों का प्रस्तुतीकरण प्रवर्तित करने का अधिकार.

⚫ व्यय अधिनिर्णित करने का अधिकार.


इस act के किसी provision का उल्लंघन करने पर  Coaching institute पर penalty लगाया जाता है .

जो पहली बार अपराध के लिए अधिकतम ₹25000.

दूसरी बार अपराध के लिए अधिकतम एक लाख.

 दूसरे अपराध के बाद coaching institute को show-cause कर सुनवाई में coaching institute के पक्ष को सुनने के बाद दोषी पाए जाने पर ragistration को रद्द कर दिया जाता हैं.


 🔲 Coaching Institute पर complaint करना :-

Sud-divisional magistrate की अध्यक्षता में एक committee होती है. जो इन पदाधिकारियों से बनी होती हैं.


Sub -divisional magistrate  -  chairman.

Sub -divisional police officer  -  member.

Sub -divisional education officer -  member secretary.
किसी Complaints का enquiry इस  committee द्वारा करके rgistration authority को report प्रस्तुत किया जाता है .उसके बाद authority द्वारा दंडात्मक निर्णय लिया जाता है.

जब कोई coaching institute इस decision  से संतुष्ट नहीं होता है तो वह decision के 30  दिनों के अंदर  Divisional Commissioner के यहां Apple करता हैं.

किसी छात्र को coaching institute के खिलाफ शिकायत करना हो तो उसे लिखित आवेदन SDM  को देना चाहिए.
                 

                                 ⚫⚫⚫

बुधवार, 18 मई 2016

The arrest and Indian Law. In hindi.

गिरफ्तारी और भारतीय कानून.   



Dear friends  ! 
हम इस article में बात करने जा रहे हैं.  Arrest करने के provision और उन  legal steps के बारे में जो किसी व्यक्ति को  arrest होते हुए प्राप्त होने चाहिए. 
उन  legal  right के बारे में जो किसी व्यक्ति के life and liberty  को सुरक्षा प्रदान करते हुए legal proceeding  आगे बढ़ाने का रास्ता तय करता है.

Arrest का अर्थ होता है किसी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित करना , जो विधि के अधीन किया गया हो 
Arrest विधि के अधीन होना अपेक्षित है जबकि यह विधि के प्रतिकूल भी होता है.

Arrest व्यक्ति को उसके स्वतंत्र कार्य करने , किसी से संपर्क करने  या स्वतंत्र विचरण पर रोक ही गिरफ्तारी है.  गिरफ्तारी में आवश्यक नहीं कि वह legal हैं या  illegal बल्कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रतापूर्ण विचरण , कार्य संपादन और अपने पसंद के व्यक्तियों से मिलने , बातें करने आदि से रोक देना और अपने custody में रखना ही गिरफ्तारी है.

Legal रुप से दंडनीय अपराध के आरोप के  कारण या आपराधिक कार्यकारित होने से रोकने हेतु सक्षम अधिकारी द्वारा हिरासत में लेना arrest हैं 
इस बात की जानकारी गिरफ्तार व्यक्ति को होना चाहिए.

गिरफ्तारी का जब हम गहनता पूर्वक अध्ययन करते हैं तो पाते हैं की गिरफ्तारी दो प्रकार की होती हैं  : -

1. Police द्वारा गिरफ्तारी.

 2. Privet व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी.


Cr.P. C.  के द्वारा गिरफ्तारी के provision का सविस्तार वर्णन किया गया है.  जिसका प्रभाव संपूर्ण भारत पर है , केवल जम्मू कश्मीर  को      छोड़कर.
किसी व्यक्ति को police बिना वारंट के arrest कर सकती है.  इसके लिए इस प्रकार का situation होना आवश्यक हैं.   Cr. P. C. के section 41 के provision के मुताबिक .

🌟   कोई व्यक्ति जब police अधिकारी के सामने cognizable        
 offence  ( संज्ञेय   अपराध) किया हो.

🌟 किसी व्यक्ति के खिलाफ  विश्वास योग्य  शिकायत,  सूचना या संदेह हो  कि वह cognizable offence (  संज्ञेय अपराध) किया है. ऐसा cognizable offence जो 7 वर्षों से कम या 7 वर्षों तक के लिए punishable हो. 

 ऐसी गिरफ्तारी के निम्न कारण है.

⚫ आगे अपराध होने की आशंका हो.

⚫ अपराध के निष्पक्ष अनुसंधान ( investigation ) के लिए आवश्यक हो.

⚫ साक्ष्य मिटाए जाने की आशंका हो.

⚫ किसी साक्षी या अपराध के बारे में जानकारी रखने वाले को पुलिस या न्यायालय को ऐसी जानकारी देने से रोकने की आशंका हो.

⚫ जब न्यायालय में उसकी उपस्थिति गिरफ्तारी से ही संभव हो.

Police अधिकारी को ऐसी गिरफ्तारी करते समय  record पर गिरफ्तारी का कारण दर्ज करना आवश्यक है . ऐसी गिरफ्तारी अगर आवश्यक नहीं है तो भी उसका कारण दर्ज करना अति आवश्यक होगा.

जब किसी के खिलाफ ऐसी विश्वसनीय सूचना मिली हो कि उसने ऐसा cognizable offence किया है जो 7 वर्षों से अधिक या मृत्युदंड  से punishable है . जुर्माने के साथ है , जुर्माने के बिना   या

🔽 जो Cr.P. C. या  राज्य सरकार द्वारा अपराधी घोषित किया जा चुका हो.

🔽 जिसके पास चोरी की संपत्ति होने का संदेह हो.

🔽 जो police अधिकारी को duty करने में बाधा पहुंचाया हो.

🔽 जो भारत के बाहर अपराध किया है , जो प्रत्यर्पण संबंधी विषय है.

🔽 जो राज्य सरकार की किसी अधिनियम का उल्लंघन करता हो.

🔽 जब किसी अन्य पुलिस अधिकारी द्वारा लिखित या मौखिक गिरफ्तारी के निर्देश प्राप्त हो.


Police  अधिकारी  Cr.P. C. के section 41 ( 1)   के मुताबिक  तभी arrest कर सकता है जब  arrest व्यक्ति cognizable offence किया हो. 

जब ऐसी गिरफ्तारी की जाती है जो संदेह पर आधारित है तो पुलिस को evidence देना होगा कि ऐसी गिरफ़्तारी विधि के अनुकूल थी.  यह police की जवाबदेही होगी. 

जब arrest व्यक्ति और पुलिस अधिकारी के बीच पहले से enmity  है तो गिरफ्तारी का विधि पूर्ण कारण देना होगा . और यह स्पष्ट करना होगा कि यह गिरफ्तारी न्याय के लिए आवश्यक था . यदि पुलिस अधिकारी के समक्ष न ही कोई सूचना है न स॔देह के  विधि पूर्ण कारण है  तो  यह गिरफ्तारी अवैध होगी.

इस प्रकार कोई पुलिस अधिकारी विधि के खिलाफ जाकर arrest करता है तो उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ I.P.C. के section 166 के provision के मुताबिक offence होगा और arrest व्यक्ति को  FIR दर्ज कराने का अधिकार होगा .

जिसमें दोषी पाए जाने पर पुलिस अधिकारी को 1 वर्ष का कैद एवं जुर्माने या किसी एक से दंडित किया जा सकता है. 

⬛ गिरफ्तारी कैसे  और किस प्रक्रिया से हो .

Cr.P.C. के section 46 के provision के मुताबिक कोई व्यक्ति या पुलिस अधिकारी arrest करने वाले व्यक्ति को touch कर या रोककर arrest करेगा. जब तक वह बोल कर या अपनी शारीरिक हावभाव द्वारा custody को स्वीकार नहीं करता है.  इस प्रकार के गिरफ्तारी के प्रयास से बचने का कोशिश करता है तो संबंधित व्यक्ति या पुलिस अधिकारी  arrest करने के लिए सभी साधनों का उपयोग करेगा. 

इस प्रकार की गिरफ्तारी में जब मृत्यु दंड का या आजीवन कारावास का अभियोग नहीं है. ऐसे में मृत्यु का अधिकार arrest करने वाले को नहीं होगा.

⬛ जब किसी महिला को arrest करना होगा तो उसे महिला पुलिस ही touch कर arrest करेगी . 
किसी महिला की गिरफ्तारी सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय के पहले नहीं की जा सकेगी .
अगर ऐसी गिरफ्तारी आवश्यक है तो  महिला पुलिस अधिकारी को 1st class judicial  magistrate जिसके jurisdiction में अपराध हुआ है या होना है , से आदेश लेना होगा.

⬛ Arrest करते समय प्रत्येक पुलिस अधिकारी को name and identification लगाना होगा ताकि उसकी पहचान हो सके.

एक ज्ञापन पत्र तैयार करेगा जिस पर एक गवाह arrest व्यक्ति के परिवार का सदस्य हो या वहां का सम्मानित व्यक्ति हो द्वारा attested किया जाएगा. 
Arrest व्यक्ति द्वारा यह ज्ञापन पत्र countersigned (प्रति हस्ताक्षरित ) किया जाएगा . Arrest व्यक्ति के परिवार के सदस्य द्वारा अगर ज्ञापन पत्र attested नहीं किया गया है तो arrest व्यक्ति का अधिकार होगा कि वह अपने arrest होने की सूचना रिश्तेदार या मित्र को दें .

Arrest करते समय पुलिस अधिकारी को वर्दी में होना आवश्यक है. यदि विषम परिस्थिति में वर्दी के बिना है 
तो उसे स्पष्ट करना होगा कि वह पुलिस अधिकारी है और विधि के अनुकूल  arrest कर रहा है .
अगर किसी को arrest करते समय कोई पुलिस अधिकारी वर्दी में नहीं है और वह यह नहीं बताता कि वह पुलिस अधिकारी है तो arrest हो रहे व्यक्ति को private defence का अधिकार प्राप्त है. वह गिरफ्तारी के विरुद्ध  बल का प्रयोग कर सकता है. 
I.P.C. के section 99 के provision के मुताबिक private defence  के  लिए हिंसा का प्रयोग किया जा सकता है.

⬛  Cr.P.C. के provision के मुताबिक कोई व्यक्ति पुलिस अधिकारी के सामने non- cognizable offence करता है या ऐसा अभियोग लगा है. उस पुलिस अधिकारी के पूछने पर नाम पता नहीं बताता है या गलत बताता है. तो वह बिना वारंट  arrest किया जा सकता है. 

किसी Arrest व्यक्ति का यह legal right होगा कि वह पूछताछ के दौरान अपने पसंद के advocate से मिल सके
 यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि पूरे पूछताछ में नहीं .


⬛ जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे गिरफ्तार करने के तुरंत बाद किसी चिकित्सा पदाधिकारी , राज्य सरकार , केंद्र सरकार या registered medical practitioner से जाॅच कराया जाएगा.
इस जांच का record उस डॉक्टर द्वारा तैयार कर, इस जांच रिपोर्ट में चोटों और उसके  अनुमानित समय का जिक्र होगा. इस रिपोर्ट की एक copy arrest व्यक्ति को या उसके द्वारा बताए गए व्यक्ति को देना होगा.

    किसी महिला के गिरफ्तार होने पर महिला Doctor द्वारा ही जाॅच 
किया जाएगा.


⬛ Arrest व्यक्ति के स्वास्थ और safety का ख्याल रखना custody में रखे  व्यक्ति का दायित्व होगा .

यहां पुनः स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि अगर किसी पुलिस अधिकारी द्वारा विधि के विरुद्ध जाकर गिरफ्तारी की जाती है तो वह I.P.C.
 के section 166 के द्वारा offence होगा और इसके लिए संबंधित अधिकारी पर FIR दर्ज करवाना चाहिए या  complaint  case करना चाहिए . इसके लिए न्यायालय के दरवाजें सदा खुले हैं.

सोमवार, 9 मई 2016

The role of women in Indian Law. In hindi.

 भारतीय कानून में महिलाओं की भूमिका.

 Rape  हर  काल, हर  सभ्यता ,  दुनिया  के हर देश और मानव सभ्यता के लिए serious offence रहा है .
वैदिक युग से लेकर , वर्तमान युग तक , लोकतांत्रिक देशों से लेकर साम्यवादी देशों तक , अपना criminal  impact डाले हुए हैं .
शायद आदिम युग के मानव के लिए  भी Rape एक बहुत बड़ा समस्या रहा होगा  .
दुनिया के  लगभग  सभी  देशों  में  rape  रोकने  के  लिए  Laws  लागू किए गए हैं  .
वर्तमान भारत के परिपेक्ष्य में बात करें तो  'निर्भया  rape and murder case'  ने पूरे भारत को आंदोलित कर दिया .
भारतीय संसद ने जन भावना को देखते हुए  sexual offence को रोकने के लिए laws   में बहुत बड़ा  amend किया , जो Indian legal history   में क्रांतिकारी कदम था.
2 अप्रैल 2013 को 'The criminal law amendment Act 2013' के रूप में सामने आया .  इस amend ने Indian laws को   amend तो किया ही साथ ही भारतीय धरती पर महिलाओं को अभूतपूर्व legal rights भी प्रदान किया .
यह amend   I.P.C. , Cr.P.C. ,  Indian evidence act और  Protection of children from sexual offences act  को प्रभावित किया . इससे यह  सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया कि भारतवर्ष की धरती पर महिलाएँ सुरक्षित हो.
 भारतीय समाज में जहाँ literacy  ratio कम है वहीं educational level उस अनुपात में नहीं जितना होना चाहिए.ऐसे में केवल कानून बनाना और उसे implement  करना ही काफी नहीं है .
 हमारे समाज में rape के प्रति जो धारणा है उसे बदलना होगा.  इसके लिए महिलाओं को पुरूषों से एक कदम आगे आना होगा . महिलाओं को अपने legal  rights के बारे में पढ़ना , समझना और जागरूक होना होगा .
इसके लिए बढाये गए बहुत सारे कदमों में यह  article एक छोटा सा कदम होगा. यह मेरा विश्वास है .
यह article जनसामान्य की भाषा शैली में लिखने का प्रयास किया गया हैं ताकि अधिक लोगों तक इसका massage जाए . इस article में सबसे पहले हम बात करेंगे उन activities पर जो I.P.C. के provision के तहत्  sexual harassment के श्रेणी में आते हैं .

 किसी महिला का  पीछा करना  .
 Stalking का शाब्दिक अर्थ होता है पीछा करना , एक ऐसा पीछा जिसमें भाग-दौड़ का होना , तीव्र गति का होना आवश्यक नहीं है . यह सुनियोजित ढंग से किया जाता है .
 किसी पुरुष द्वारा किसी महिला से  friendship करने के लिए या उस महिला के करीब आने के लिए किया गया प्रयास stalking है . जब वह महिला स्पष्ट रुप से उस पुरुष को संकेत देती है कि वह इस प्रकार की हरकत के विरुद्ध है .यह  संकेत देना आवश्यक है. ऐसी दशा में किया जाने वाला यह प्रयास stalking है .
जब कोई पुरुष किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध  उसके साथ साथ  चलने , यात्रा करने ,  classroom , girls  common room, examination hall, cinema hall , public transports , road traffic , किसी तीर्थस्थल , सभास्थल , workplace , घर के आस-पास आदि जगहों पर जहाँ उस पुरुष को रहने का तो अधिकार है लेकिन इस अधिकार को  वह संबंधित महिला के आस पास आने के लिए इस्तेमाल करता है. अगर संबंधित महिला को ऐसा प्रतीत होता है तो वह अपराध है . ऐसा करने वाला परिचित या अपरिचित, classmate  या  teacher हो सकता है.
अपवाद स्वरुप ऐसा पीछा विधि के अधीन न किया गया हो  . जैसे teacher द्वारा किया गया  examination hall  में निरीक्षण कार्य.

 इस प्रकार किसी महिला की अनिच्छा के बावजूद  gift देना , rose देना propose करना ,  like करना, help करने के बहाने आस पास आना stalking है .
जब हम इस stalking के स्वरुप के बारे में देखते हैं तो आज के digital Indian के युग में यह दो प्रकार से सामने आता है. Offline और online.   Offline के बारे में हम उपर्युक्त चर्चा कर चुके  हैं .
Online किए गए पीछा को syber stalking भी कहा जाता है . whatsapp , facebook, Twitter आदि social site से किसी महिला का निरीक्षण करना. उसके द्वारा chat, mail ,  आदि को किस ढंग से देखने का प्रयास करना या किसी ढंग से online ही उस महिला के इच्छा के विरुद्ध touch में आने का प्रयास ही syber stalking है . इस प्रकार किसी ढंग से किया गया stalking I.P.C. के section 354 D  के provision के मुताबिक अपराध हैं
 ऐसे offence के लिए जो पहली बार किसी पुरुष द्वारा किया गया है और दोषी पाया जाता है.  तो उसे 3 वर्षों का कैद एवं जुर्माने का provision  है.
 किसी महिला को stalking का शिकार होने पर police station में शिकायत अवश्य करनी चाहिए .

किसी पुरुष द्वारा किसी महिला का private act  देखना.

 जब कोई पुरुष किसी महिला का private act देखता है . जिसे देखने का वह आशा नहीं करती  या  Image capture करता  हैं .

 Private act का अभिप्राय उस स्थिति से है .जब किसी महिला के निजता की आशा की जाती है . जननांग, नितंब, स्तनों या underwear से ढका अंग, शौच कार्य ,sexual act , अपने boyfriend को kiss करती या sexual favours करती  हो. जो वह किसी को न देखने के आशा से करती है .आदि को देखने का कोशिश करना या image capture करना .
 किसी महिला के स्तन से हवा से हटे दुपट्टे के अंदर तांकझाक  करना या उस क्षण का image capture करना  .
I.P.C. के section 354 C के मुताबिक offence होगा.
 अगर कोई महिला,  किसी पुरुष को ऐसे private act की image capture करने की सहमति देती है . लेकिन उसके द्वारा capture image को न तो दूसरे को दिखाने  को कहती है  न ही दिखाने का आशा करती है. ऐसी स्थिति में वह  image दिखाता है  या प्रचारित करता है तो वह इस offence का दोषी होगा . इसके लिए 3 वर्षों का कैद एवं जुर्माने का provision है और एक बार दोषी होने के बाद इस offence को दोहराता है तो 7 वर्षों का कैद एवं जुर्माने का  provision है . इस प्रकार के अपराध की शिकार महिला को कुंठाग्रस्त हो चुप नहीं रहना चाहिए . इसके लिए आगे आना चाहिए . हर  एक महिला का अधिकार है कि ऐसा उसके साथ न हो .

जब  किसी पुरुष द्वारा किसी महिला को अश्लिल हरकत किया जाए.

 जो अक्षरों ,शब्दों ,अंकों द्वारा प्रदर्शित किया गया हो. जो बोल कर, लिख कर या संकेत कर , हावभाव द्वारा अभिव्यक्त किया गया हो.
तो यह  sexual harassment होगा .
जैसे  physical संपर्क करने संबंधी अश्लिल संकेत करना ,   fliying kiss करना , sexual favours के लिए demand या request करना , sexual jokes सुनाना , sexual मजाक करना, किसी महिला के  इच्छा के विरुद्ध उसे pornography दिखाना या देखने को बाध्य करना. Sexual comment करना , जो उसके भावनाओं को ठेस पहुंचाता हो.
 कोई पुरुष जो किसी महिला का  brother in law है  , के द्वारा अश्लिल मजाक किया जाता है  या sexual jokes सुनाया जाता है  या  उपर्युक्त चर्चा किए बिंदुओं पर किसी  brother in law द्वारा sister in law को भी ऐसा किया जाता है तो I.P.C. के provision के मुताबिक offence होगा.
 यहाँ यह स्पष्ट करना अच्छा होगा कि इस offence के लिए  physically  touch करना कोई जरुरी नहीं है .
यह अक्षरों ,अंकों, शब्दों द्वारा किया जा सकता है .जो बोल कर ,लिख कर या संकेत कर किया गया हो.  इस प्रकार होली आदि उत्सव के नाम पर किया गया sexual harassment , crime होगा .  यह I.P.C. के section 354  A के provision के मुताबिक  offence होगा और इसके लिए अधिकतम 3 वर्षों का कैद और जुर्माने का provision है.
 इस प्रकार के किसी भी   offence  की शिकार महिला को  police station, महिला सेल,  N.G.O. का help लेना चाहिए  ताकि habitual  criminals को punismant मिल सके.
महिलाओं को अपराध का nature और इसके criminal  impact को देखते हुए   FIR register करवाना चाहिए .
यह केवल व्यक्ति के विरुद्ध  होने वाला अपराध न होकर समाज के विरुद्ध होने वाला अपराध हैं.  जिसका सामाजिक नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका है.
इस  article   में उन offence को सामने लाने का प्रयास किया गया है.  जिससे प्रायः महिलाओं का सामना होता है . महिलाओं को चाहिए कि वह ऐसे अपराध को लेकर जागरूक हो . यह केवल महिलाओं का legal rights ही नहीं सामाजिक दायित्व भी है कि वह इस प्रकार के किसी अपराध के लिए चुप न रहे .उनकी चुप्पी समाज में अन्य महिलाओं पर अपराध को प्रोत्साहित करेगी. जिससे इस प्रकार के अपराध को बढ़ावा मिलेगा .
Sexual offence  पर अक्सर हम बातें नहीं करते जो इस अपराध को बढ़ावा देने और अपराध को ढकने का कारण बनता है.
यह family discussion  में शामिल होना चाहिए .  प्रत्येक family को अपने teenager girls पर ध्यान देना चाहिए. इस प्रकार के offence अक्सर उनके साथ होता है.  इसकी अभिव्यक्ति किसी से  वे नहीं कर पाती. यह women empowerment के लिए ही नहीं.
हमारे समाज और laws को मजबूत करने के लिए  भी आवश्यक है   . हमारा Justice system तभी   justice कर पाएगा . जब महिलाएं justice के लिए आगे आए . हम तभी अपराध को मिटा सकते हैं जब हमारे family members इस पर बातें करें .
 जिस  family में ऐसा कर पाना संभव नहीं है ,उन family में  offence  से संबंधित  magazines,  books,  articles   अपने  बच्चों  को उपलब्ध  कराना चाहिए .
जिससे वे यह समझ सकें कि  अपराध क्या है ? और अपराध होने के बाद क्या कदम उठाया जाए ?
अपराध से  मुक्ति के लिए नागरिकों में legal knowledge  का होना आवश्यक है .