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बुधवार, 18 मई 2016

The arrest and Indian Law. In hindi.

गिरफ्तारी और भारतीय कानून.   



Dear friends  ! 
हम इस article में बात करने जा रहे हैं.  Arrest करने के provision और उन  legal steps के बारे में जो किसी व्यक्ति को  arrest होते हुए प्राप्त होने चाहिए. 
उन  legal  right के बारे में जो किसी व्यक्ति के life and liberty  को सुरक्षा प्रदान करते हुए legal proceeding  आगे बढ़ाने का रास्ता तय करता है.

Arrest का अर्थ होता है किसी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित करना , जो विधि के अधीन किया गया हो 
Arrest विधि के अधीन होना अपेक्षित है जबकि यह विधि के प्रतिकूल भी होता है.

Arrest व्यक्ति को उसके स्वतंत्र कार्य करने , किसी से संपर्क करने  या स्वतंत्र विचरण पर रोक ही गिरफ्तारी है.  गिरफ्तारी में आवश्यक नहीं कि वह legal हैं या  illegal बल्कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रतापूर्ण विचरण , कार्य संपादन और अपने पसंद के व्यक्तियों से मिलने , बातें करने आदि से रोक देना और अपने custody में रखना ही गिरफ्तारी है.

Legal रुप से दंडनीय अपराध के आरोप के  कारण या आपराधिक कार्यकारित होने से रोकने हेतु सक्षम अधिकारी द्वारा हिरासत में लेना arrest हैं 
इस बात की जानकारी गिरफ्तार व्यक्ति को होना चाहिए.

गिरफ्तारी का जब हम गहनता पूर्वक अध्ययन करते हैं तो पाते हैं की गिरफ्तारी दो प्रकार की होती हैं  : -

1. Police द्वारा गिरफ्तारी.

 2. Privet व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी.


Cr.P. C.  के द्वारा गिरफ्तारी के provision का सविस्तार वर्णन किया गया है.  जिसका प्रभाव संपूर्ण भारत पर है , केवल जम्मू कश्मीर  को      छोड़कर.
किसी व्यक्ति को police बिना वारंट के arrest कर सकती है.  इसके लिए इस प्रकार का situation होना आवश्यक हैं.   Cr. P. C. के section 41 के provision के मुताबिक .

🌟   कोई व्यक्ति जब police अधिकारी के सामने cognizable        
 offence  ( संज्ञेय   अपराध) किया हो.

🌟 किसी व्यक्ति के खिलाफ  विश्वास योग्य  शिकायत,  सूचना या संदेह हो  कि वह cognizable offence (  संज्ञेय अपराध) किया है. ऐसा cognizable offence जो 7 वर्षों से कम या 7 वर्षों तक के लिए punishable हो. 

 ऐसी गिरफ्तारी के निम्न कारण है.

⚫ आगे अपराध होने की आशंका हो.

⚫ अपराध के निष्पक्ष अनुसंधान ( investigation ) के लिए आवश्यक हो.

⚫ साक्ष्य मिटाए जाने की आशंका हो.

⚫ किसी साक्षी या अपराध के बारे में जानकारी रखने वाले को पुलिस या न्यायालय को ऐसी जानकारी देने से रोकने की आशंका हो.

⚫ जब न्यायालय में उसकी उपस्थिति गिरफ्तारी से ही संभव हो.

Police अधिकारी को ऐसी गिरफ्तारी करते समय  record पर गिरफ्तारी का कारण दर्ज करना आवश्यक है . ऐसी गिरफ्तारी अगर आवश्यक नहीं है तो भी उसका कारण दर्ज करना अति आवश्यक होगा.

जब किसी के खिलाफ ऐसी विश्वसनीय सूचना मिली हो कि उसने ऐसा cognizable offence किया है जो 7 वर्षों से अधिक या मृत्युदंड  से punishable है . जुर्माने के साथ है , जुर्माने के बिना   या

🔽 जो Cr.P. C. या  राज्य सरकार द्वारा अपराधी घोषित किया जा चुका हो.

🔽 जिसके पास चोरी की संपत्ति होने का संदेह हो.

🔽 जो police अधिकारी को duty करने में बाधा पहुंचाया हो.

🔽 जो भारत के बाहर अपराध किया है , जो प्रत्यर्पण संबंधी विषय है.

🔽 जो राज्य सरकार की किसी अधिनियम का उल्लंघन करता हो.

🔽 जब किसी अन्य पुलिस अधिकारी द्वारा लिखित या मौखिक गिरफ्तारी के निर्देश प्राप्त हो.


Police  अधिकारी  Cr.P. C. के section 41 ( 1)   के मुताबिक  तभी arrest कर सकता है जब  arrest व्यक्ति cognizable offence किया हो. 

जब ऐसी गिरफ्तारी की जाती है जो संदेह पर आधारित है तो पुलिस को evidence देना होगा कि ऐसी गिरफ़्तारी विधि के अनुकूल थी.  यह police की जवाबदेही होगी. 

जब arrest व्यक्ति और पुलिस अधिकारी के बीच पहले से enmity  है तो गिरफ्तारी का विधि पूर्ण कारण देना होगा . और यह स्पष्ट करना होगा कि यह गिरफ्तारी न्याय के लिए आवश्यक था . यदि पुलिस अधिकारी के समक्ष न ही कोई सूचना है न स॔देह के  विधि पूर्ण कारण है  तो  यह गिरफ्तारी अवैध होगी.

इस प्रकार कोई पुलिस अधिकारी विधि के खिलाफ जाकर arrest करता है तो उस पुलिस अधिकारी के खिलाफ I.P.C. के section 166 के provision के मुताबिक offence होगा और arrest व्यक्ति को  FIR दर्ज कराने का अधिकार होगा .

जिसमें दोषी पाए जाने पर पुलिस अधिकारी को 1 वर्ष का कैद एवं जुर्माने या किसी एक से दंडित किया जा सकता है. 

⬛ गिरफ्तारी कैसे  और किस प्रक्रिया से हो .

Cr.P.C. के section 46 के provision के मुताबिक कोई व्यक्ति या पुलिस अधिकारी arrest करने वाले व्यक्ति को touch कर या रोककर arrest करेगा. जब तक वह बोल कर या अपनी शारीरिक हावभाव द्वारा custody को स्वीकार नहीं करता है.  इस प्रकार के गिरफ्तारी के प्रयास से बचने का कोशिश करता है तो संबंधित व्यक्ति या पुलिस अधिकारी  arrest करने के लिए सभी साधनों का उपयोग करेगा. 

इस प्रकार की गिरफ्तारी में जब मृत्यु दंड का या आजीवन कारावास का अभियोग नहीं है. ऐसे में मृत्यु का अधिकार arrest करने वाले को नहीं होगा.

⬛ जब किसी महिला को arrest करना होगा तो उसे महिला पुलिस ही touch कर arrest करेगी . 
किसी महिला की गिरफ्तारी सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय के पहले नहीं की जा सकेगी .
अगर ऐसी गिरफ्तारी आवश्यक है तो  महिला पुलिस अधिकारी को 1st class judicial  magistrate जिसके jurisdiction में अपराध हुआ है या होना है , से आदेश लेना होगा.

⬛ Arrest करते समय प्रत्येक पुलिस अधिकारी को name and identification लगाना होगा ताकि उसकी पहचान हो सके.

एक ज्ञापन पत्र तैयार करेगा जिस पर एक गवाह arrest व्यक्ति के परिवार का सदस्य हो या वहां का सम्मानित व्यक्ति हो द्वारा attested किया जाएगा. 
Arrest व्यक्ति द्वारा यह ज्ञापन पत्र countersigned (प्रति हस्ताक्षरित ) किया जाएगा . Arrest व्यक्ति के परिवार के सदस्य द्वारा अगर ज्ञापन पत्र attested नहीं किया गया है तो arrest व्यक्ति का अधिकार होगा कि वह अपने arrest होने की सूचना रिश्तेदार या मित्र को दें .

Arrest करते समय पुलिस अधिकारी को वर्दी में होना आवश्यक है. यदि विषम परिस्थिति में वर्दी के बिना है 
तो उसे स्पष्ट करना होगा कि वह पुलिस अधिकारी है और विधि के अनुकूल  arrest कर रहा है .
अगर किसी को arrest करते समय कोई पुलिस अधिकारी वर्दी में नहीं है और वह यह नहीं बताता कि वह पुलिस अधिकारी है तो arrest हो रहे व्यक्ति को private defence का अधिकार प्राप्त है. वह गिरफ्तारी के विरुद्ध  बल का प्रयोग कर सकता है. 
I.P.C. के section 99 के provision के मुताबिक private defence  के  लिए हिंसा का प्रयोग किया जा सकता है.

⬛  Cr.P.C. के provision के मुताबिक कोई व्यक्ति पुलिस अधिकारी के सामने non- cognizable offence करता है या ऐसा अभियोग लगा है. उस पुलिस अधिकारी के पूछने पर नाम पता नहीं बताता है या गलत बताता है. तो वह बिना वारंट  arrest किया जा सकता है. 

किसी Arrest व्यक्ति का यह legal right होगा कि वह पूछताछ के दौरान अपने पसंद के advocate से मिल सके
 यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि पूरे पूछताछ में नहीं .


⬛ जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे गिरफ्तार करने के तुरंत बाद किसी चिकित्सा पदाधिकारी , राज्य सरकार , केंद्र सरकार या registered medical practitioner से जाॅच कराया जाएगा.
इस जांच का record उस डॉक्टर द्वारा तैयार कर, इस जांच रिपोर्ट में चोटों और उसके  अनुमानित समय का जिक्र होगा. इस रिपोर्ट की एक copy arrest व्यक्ति को या उसके द्वारा बताए गए व्यक्ति को देना होगा.

    किसी महिला के गिरफ्तार होने पर महिला Doctor द्वारा ही जाॅच 
किया जाएगा.


⬛ Arrest व्यक्ति के स्वास्थ और safety का ख्याल रखना custody में रखे  व्यक्ति का दायित्व होगा .

यहां पुनः स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि अगर किसी पुलिस अधिकारी द्वारा विधि के विरुद्ध जाकर गिरफ्तारी की जाती है तो वह I.P.C.
 के section 166 के द्वारा offence होगा और इसके लिए संबंधित अधिकारी पर FIR दर्ज करवाना चाहिए या  complaint  case करना चाहिए . इसके लिए न्यायालय के दरवाजें सदा खुले हैं.